न्यूज़ीलैंड के कैफे में क्या हुआ था?
चार घंटे की बातें, घड़ी 11:30 पार, और स्टाफ की साफ आवाज—“बस, अब निकलना होगा।” यही वह हल्का-फुल्का किस्सा है, जिसे भारतीय क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स ने हालिया इंटरव्यू में साझा किया। उन्होंने बताया कि Virat Kohli और अनुष्का शर्मा के साथ न्यूज़ीलैंड के एक लोकल कैफे में बैठकर हुई बातचीत इतनी लंबी खिंच गई कि बंद होने के बाद स्टाफ को विनम्रता से सभी को उठाना पड़ा।
जेमिमा के मुताबिक शुरुआत में माहौल प्रोफेशनल था—क्रिकेट, काम और रूटीन की बातें। धीरे-धीरे टोन बदलता गया और चर्चा बिल्कुल दोस्ताना हो गई। जैसे पुराने दोस्त सालों बाद मिले हों और हर छोटे-बड़े अनुभव पर खुलकर बात कर रहे हों। अनुष्का भी पूरे समय बातचीत का हिस्सा रहीं। समय ऐसे बीता कि किसी को अंदाजा ही नहीं रहा कि कैफे के शटर गिरने का वक्त हो गया है।
बातचीत करीब चार घंटे चली। रात 11:30 बजे स्टाफ आया और मुस्कुराते हुए कहा, “बस, आज के लिए इतना काफी है। अब हमें बंद करना है।” जेमिमा ने हंसते हुए याद किया कि बातचीत तो चलती रहती, रुकावट बस कैफे की घड़ी ने डाली।
न्यूज़ीलैंड में कई कैफे और छोटे रेस्तरां रात में जल्दी बंद हो जाते हैं। लाइसेंसिंग और शिफ्ट के नियम सख्त हैं, इसलिए समय पर क्लोज़ करना आम बात है। ऐसे में अगर कोई ग्रुप बातों में खो जाए, तो स्टाफ का विनम्र अनुरोध करना सामान्य प्रक्रिया है—चाहे सामने सुपरस्टार ही क्यों न बैठे हों।
एक ‘नॉर्मल’ शाम, बड़ी हस्तियां और फैंस के लिए सीख
यह किस्सा इसीलिए गूंजा क्योंकि यह स्टारडम से ज्यादा इंसानी साइड दिखाता है। कोहली और अनुष्का अक्सर अपनी निजी जिंदगी को सीमित दायरे में रखते हैं। उनकी बेटी वामिका का जन्म 2021 में हुआ, और बेटे अकै का जन्म फरवरी 2024 में—दोनों को उन्होंने मीडिया की नज़र से दूर रखा है। स्टेडियम और सोशल मीडिया में बार-बार अपीलें भी आईं कि बच्चों की तस्वीरें साझा न की जाएं।
जेमिमा और कोहली की बातचीत का यह प्रसंग क्रिकेट के दायरे से बाहर की दोस्ती का एहसास देता है। भारतीय क्रिकेट सर्कल में सीनियर्स और यंगस्टर्स के बीच ऐसे अनौपचारिक संवाद नई पीढ़ी के खेल और माइंडसेट पर असर डालते हैं—फिटनेस से लेकर तैयारी तक, और मैच के बाहर के जीवन संतुलन तक। जेमिमा ने संकेत दिया कि चर्चा क्रिकेट से बढ़कर जीवन के अनुभवों तक पहुंची—यात्राएं, असफलताएं, और वह सब जो एथलीट्स को इंसान बनाता है।
जिन लोगों ने कभी देर रात दोस्तों के साथ कैफे में टाइम बिताया है, उनके लिए यह दृश्य बेहद पहचान वाला लगता है—कहानी, हंसी, किस्से और अचानक “अब हमें बंद करना है” सुनाई देना। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां टेबल पर बैठी थीं दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटरों में से एक और बॉलीवुड की ए-लिस्टर। फिर भी, पूरी तस्वीर बिलकुल रोज़मर्रा जैसी है।
संदर्भ समझना भी जरूरी है। पिछले कुछ सालों में भारत की पुरुष और महिला टीमों के कार्यक्रम अक्सर न्यूज़ीलैंड से टकराते रहे—कभी दौरे, कभी बड़े टूर्नामेंट। ऐसे में खिलाड़ियों का ऑफ-डे पर किसी कैफे या रेस्टोरेंट में मिलना असामान्य नहीं। विदेशी शहरों में टीम के भीतर और बाहर के दोस्त मिलते हैं, और वही समय सबसे सच्ची, अनफ़िल्टर्ड बातचीत का होता है।
इस घटना में “किक्ड आउट” वाली बात सुनने में बड़ी लग सकती है, पर असल में यह शिष्टाचार भरा रिमाइंडर था—घंटी बज गई, अब घर चलिए। सेलिब्रिटी कल्चर में जहां हर मूवमेंट पर कैमरे टिके रहते हैं, वहां ऐसी आम-सी शामें दिखाती हैं कि ग्लैमर के पीछे लोग वही चीजें ढूंढते हैं जो हम और आप—अच्छी संगत, खुलकर बातें और कुछ घंटे बिना घड़ी देखे बिताने का मौका।
सोशल मीडिया पर यह किस्सा सामने आते ही फैंस ने इसे रिलेटेबल बताया। कोई लिख रहा था कि “यह तो हमारे साथ भी होता है,” तो कोई इस बात से खुश था कि बड़े नाम होने के बावजूद वे बिना तामझाम के इस्तेमाल से ज़्यादा ‘टाइम’ नहीं मांगते। एक तरह से यह उस सादगी का प्रमाण है जो अक्सर सुर्खियों में दब जाती है।
क्रिकेट के बाहर की ऐसी छोटी घटनाएं इस खेल की सबसे खूबसूरत बात याद दिलाती हैं—यह लोगों को जोड़ता है। मीलों दूर, एक शांत शहर के कैफे में, चार लोग बस बातें कर रहे थे। और जब रात बहुत हो चली, तो एक वाक्य ने सबको वापस रोज़मर्रा की रफ्तार में लौटा दिया—“अब हमें बंद करना है।” यही तो जिंदगी है: कुछ यादगार घंटे, एक हल्की-सी खट्टी-मीठी रुकावट, और फिर अगली सुबह की शुरुआत।