आपने स्कूल में कभी "औसत" शब्द सुना होगा, लेकिन असल ज़िन्दगी में इसका क्या मतलब है? चलिए बिना झंझट के बताते हैं। औसत मूल रूप से कोई भी चीज़ का मध्य बिंदु निकालता है – चाहे वो आपकी मासिक आय हो, किसी परीक्षा में अंक हों या फिर घर के बिल।
सबसे आम तरीका है सामान्य औसत (Arithmetic Mean). इसे निकालने के लिए आप सभी मानों को जोड़ते हैं और फिर उनके कुल संख्या से भाग देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि तीन महीने में आपका खर्च 10,000, 12,000 और 8,000 रुपए है, तो कुल 30,000 / 3 = 10,000 होगा। यानी आपका औसत मासिक खर्च 10,000 रुपए है।
अगर आप दो मानों को मिलाते हैं, जैसे दो दोस्तों की आय – 25,000 और 35,000, तो (25,000+35,000)/2 = 30,000. इस तरह दो लोगों की औसत आय 30,000 बनती है।
औसत सिर्फ गणित का खेल नहीं, ये हर दिन काम आता है। कुछ आम उदाहरण:
कभी‑कभी औसत हमें गुमराह भी कर सकता है, जब एक असाधारण मान बहुत बड़ा या छोटा हो। ऐसे में माध्यिका (median) या बहुलक (mode) देखना ज़रूरी होता है। लेकिन शुरुआती लोगों के लिए साधारण औसत सबसे आसान और तेज़ तरीका है।
अब आप भी अपने रोज़मर्रा के डेटा पर औसत लगा कर देखिए – चाहे वो आपकी साप्ताहिक औसत नींद हो या आपके दोस्तों के साथ बिताया गया औसत समय। इससे आपको पैटर्न समझ में आएगा और बेहतर निर्णय ले सकेंगे।
तो अगली बार जब कोई कहे "औसत निकालो", तो बस इन सरल कदमों को याद रखें और तुरंत समाधान निकालें। कोई भी चीज़, कोई भी डेटा, थोड़ा सा जोड़‑घटाव करके आप तुरंत उसका औसत जान सकते हैं। यही है औसत की शक्ति – सरल, तेज़, और रोज़मर्रा में इस्तेमाल योग्य।